ना जाने क्यूँ कोई चुपकेसे घुस जाते हमारी ज़िन्दगी में
ना जाने कैसे दूर हो कर भी पास लगने लगते हैं
ना जाने कब मगर मंज़ूर है की हमको उससे है इकरार
Apologies or Thanks ? Both actually :)
15 years ago
Something to do on a lazy sunday..
ना जाने क्यूँ कोई चुपकेसे घुस जाते हमारी ज़िन्दगी में
ना जाने कैसे दूर हो कर भी पास लगने लगते हैं
ना जाने कब मगर मंज़ूर है की हमको उससे है इकरार
Posted by Anonymous at 9:23 AM
1 comments:
Short n sweet... u really write things tht touch ones heart...
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